Our Organization – Gaumukhi Sewa Dham
गौमुखी सेवा धाम – स्थापना, उद्देश्य एवं सेवा-कार्य
गौमुखी सेवा धाम संस्था की स्थापना 15/09/2000 को पर्वतीय अंचल देवपहरी में की गयी थी।
यह परियोजना वनवासी बंधुओं के सर्वांगीण विकास व उन्हे मुख्य धारा से जोड़ने के लिये कार्य कर रही है। 40 गांवों मे रहने वाले लाभार्थी वनवासी बंधुओं की कुल संख्या लगभग 20,000 है।
दुर्गम पर्वतीय अंचल में विकास की मुख्य धारा से अलग थलग पड़े वनवासी बंधुओं के उत्थान के लिये सेवा प्रकल्प की स्थापना की गई व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर पांच आयामों में सेवा कार्य प्रारंभ किया गया।
समिति द्वारा प्रारंभ किये गये सेवा कार्य के पांच आयाम हैं:-
- धर्म जागरण व आध्यात्मिक विकास
- सामाजिक पुनर्रचना
- स्वास्थ्य सेवा
- शिक्षा व नैतिक विकास
- आर्थिक विकास
संगठन के 5 हाईलाइटेड सेवा प्रोजेक्ट हैं:–
- आध्यात्मिक जागरण का कार्य:- ग्राम देवपहरी में मां सिद्धिदात्री मंदिर की स्थापना, 40 गावों के प्रत्येक घर में रामायण वितरण के साथ क्षेत्र में धर्मजागरण का कार्य प्रारंभ व धर्मांतरण पर रोक के लिये प्रभावी पहल, सामाजिक बुराई – मुख्यत: शराब के विरूद्ध जनजागरण।
- सामाजिक पुनर्रचना का कार्य :- सामाजिक पुननिर्माण हेतु ग्रामीणों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण शिविर जैसे ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रतिवर्ष माई मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाओं के स्वालंबन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य प्रशिक्षण तथा सांस्कृतिक एवं खेल कूद कार्यक्रम किये जाते हैं। पुरूषों के प्रशिक्षण हेतु साधना शिविर का आयोजन किया जाता है जिसमें ग्राम विकास की आगामी योजनाओं के अनुरूप विशेषज्ञों को बुलाकर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा सामाजिक संरचना सुदृढ़ करने हेतु निर्धन कन्या विवाह आयोजन एवं चैत्र व शारदीय नवरात्रि, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, राष्ट्रीय आदि विभिन्न पर्वों पर ग्रामीणों के साथ उत्सव व सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद आदि का आयोजन किया जाता है।
- स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं :- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ्य मन निवास करता है अतः ग्रामीण स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण माना गया। सन् 2004 में ग्रामोदय केन्द्र में सर्व उपकरण युक्त चार शय्या अस्पताल छ. ग. के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह द्वारा उद्घाटित किया गया है जिसमें बहुत से रोगी,पीड़ित ग्रामवासियों को मुफ्त चिकित्सा प्राप्त हो रही है। समय- समय पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है जिसमें जिले के चिकित्सा विशेषज्ञ अपनी सेवाएं देते हैं। समिति के पास एक चलित चिकित्सालय वाहन है जिससे दूर दराज के गांवों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है। एक एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध है जिसके द्वारा गंभीर मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा के बाद जिला अस्पताल भेजा जाता है। प्रकल्प के प्रारंभ से ही ओड़ीसा प्रांत से आकर कठिन परिस्थितियों में भी रहकर डा देवाशीष मिश्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गत 20 वर्षों में स्वास्थ्य शिविरों की लंबी श्रृंखला , टीकाकरण अभियान, आई कैंप शिशु संरक्षण कैंप, मातृत्व कार्यशाला, स्वच्छता जागरूकता कार्यशाला के माध्यम से डॉ देबाशीष ने आदिवासियों की सेवा में एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। विवाह होने पर उनकी डॉक्टर पत्नी ने भी सेवा कार्य में उन्हे सहयोग प्रदान किया।
- शैक्षणिक विकास का कार्य :- समिति आश्रम केन्द्र में वनवासी बच्चों के लिए कक्षा पहली से दसवी तक आवासीय विद्यालय संचालित है, जहाँ शासन द्वारा स्वीकृत पाठ्यक्रम के अतिरिक्त योग, बागवानी, कम्प्यूटर आदि को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके तथा वे संस्कारयुक्त शिक्षा ग्रहण कर समाज की मूलधारा से जुड़ सकें। वर्तमान में 250 बालक बालिकाओं के पृथक छात्रावास हैं। प्रातः 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक की दैनंदिनी में पाठ्यक्रम शिक्षा के अलावा योगाभ्यास, व्यायाम, बागवानी, खेलकूद, देशभक्ति गीतों – लोक नृत्य – भू अलंकरण का प्रशिक्षण, संगीत शिक्षा, रंगमंचीय कार्यक्रम, कंप्यूटर ट्रेनिंग, कार्पेंट्री, विद्युत सुधार, साइकिल मरम्मत आदि गतिविधियां योजनानुसार होती हैं। सामाजिक , आध्यात्मिक ,समसामयिक , सांस्कृतिक एवं संस्कार संबंधित अनेकों व्याख्यान विशेषज्ञों द्वारा नियमित होते हैं। अनुशासन का पालन महत्वपूर्ण आयाम है। 24 घंटे छात्रावास में रहने से बच्चों का सर्वांगीण विकास परिलक्षित हो रहा है।
- आर्थिक विकास का कार्य :- आर्थिक विकास हेतु पारंपरिक कृषि को आधुनिक कृषि में बदलने का प्रयास किया जा रहा है प्रतिवर्ष किसान मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें उन्नत किस्म के बीजों का निशुल्क वितरण, आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण, अतिरिक्त आय वाली खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। इसके अलावा गौपालन, कपड़ा बुनाई-सिलाई जैसे ग्रामीण उद्योगों के लिए प्रोत्साहन, प्रशिक्षण एवं सहयोग द्वारा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस परियोजना की उपलब्धियां हैं:-
- प्रकल्प के कार्यों से क्षेत्र में पर्याप्त सकारात्मक सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन आया है। लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार आया है।
- धर्म के प्रति आस्था व धार्मिक कार्यों में वृद्धि हुई है, एवं धर्म परिवर्तन पर प्रभावी रोक लगी है।
- प्रत्येक 40 ग्रामों में ग्रामीणों की मांग पर देवालय की स्थापना की गयी है। एवं रामायण आदि धार्मिक ग्रंथों का प्रत्येक बनवासी परिवार में वितरण किया गया है।
- शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा का इस क्षेत्र में नितांत अभाव था। प्रकल्प के कार्यों से इनका विस्तार एवं लोगों मे शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई है। लोगों मे शराब आदि बुराईयों के प्रति झुकाव कम हुआ है।
- कृषि की गुणवत्ता में और खान-पान के स्तर में सुधार आया है। लोगों द्वारा सब्जियों के उत्पादन एवं भोजन में दाल-सब्जियों के प्रयोग करने की आदत विकसित हुई है। जिससे वे अधिक पौष्टिक भोजन ग्रहण कर रहे हैं।
- इस कार्य से दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में निवासरत बनवासी बंधु सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं। उनके जीवन स्तर में काफी सुधार आया है।
Gaumukhi Sewa Dham – A Profile
Gaumukhi Sewa Dham is a registered society under C. G. Society Registration Act 1973, established in the year 2000.
Aim of Society
Health, educational, social, and financial upliftment of the people, mainly tribals residing in the remote and inaccessible areas which fall under 40 villages in and around Devpahari. (Distance from Korba town is approx 60 kms in the state of Chhattisgarh, India)
Activities
Health
A 4-bedded well-equipped hospital was inaugurated in Jan 2004 by the honourable Chief Minister of C. G. Govt. Since then, many patients have been treated free of cost.
Health camps are organized every fortnightly by the resident doctor of society Dr Debashish Mishra. At certain times the camp is also attended by senior doctors from Korba.
Many serious illnesses which otherwise would have been left untreated, are treated at Korba by qualified doctors free of cost.
Project has an ambulance available at the project site. One other ambulance donated by the State Bank Of India, Korba under the corporate social responsibility scheme is used for organizing health camps at different village centers every fortnightly.
Educational
For educational upliftment, a school was established in the year 2002 with 27 boys. Now it provides education up to class XII to approx. 300 students with residential facility for boys and girls both.
Girls residing in remote villages are getting education because of the residential facility and many girls are doing well in sports reaching up to state level and national level as well.
The society was also entrusted with the Child Labor School project of Korba district providing education to such students who otherwise would have spent their time working as child laborers and would have never gone to school.
Social and Financial
For improving the awareness and personality development of village women ‘Mai-Mela’ is organized every year since 2004, where basic literacy, housekeeping, and health awareness is taught to the participants. It is attended by 150 women every year. This Mela is also used for spreading health and social awareness. For men ‘Sadhna-Shivir’ is organized every year in the month of February with a similar purpose.
For economic upliftment, agriculture is being taught to larger populations residing in villages by inviting experts in the field. The ways to have a good harvest with the use of healthy seeds, arranging and providing irrigation wherever possible, cultivation of green vegetables and other crops are taught.
Many workshops, meetings, and seminars are organized throughout the year to educate the village population in such matters. Villagers are inspired and helped to adopt newer means and ways to improve their economic status by learning various trades, better utilization of available land, and use of pesticides and manure to improve cultivation.
Spiritual
Many programs are undertaken throughout the year for the spiritual & moral upliftment of the people. All such programs and efforts are directed at individual character building and guarding best Indian values and traditions.
Hydel and Solar Power Units
A 25-kilowatt hydel power unit was installed to meet the power requirement of Devpahari Aashram. A 6-Kilowatt off-grid Solar system has been installed in 2021 to meet the all-time minimum power requirements.
Contact Information
Whatsapp /Phone Contact No:
+91 7000832788 (Yogesh Jain, Secretary)
+91 9425539458 ( Dr Rajeev Gupta, Joint Secretary), +91 7000670863 (Gopal Agrawal, Member)
Email Id: [email protected]